RAIPUR. प्रदेश में 58% आरक्षण रद्द होने के मुद्दे को लेकर 29 अक्टूबर शनिवार को एक बार फिर से रायपुर के सर्किट हाउस में सर्व आदिवासी समाज की बैठक हुई। इस बैठक में कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा और अमरजीत भगत समेत कांग्रेस के कई आदिवासी विधायक शामिल हुए। 2 घंटे से ज्यादा देर तक चली बैठक में इस समस्या के समाधान को लेकर विस्तारित चर्चा हुई।
सत्र बुलाकर अध्यादेश पारित कराए सरकार
बैठक खत्म होने के बाद मंत्री कवासी लखमा ने बताया कि समाज की ओर से यह मांग आ रही है कि राज्य सरकार विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर अध्यादेश पारित कराए। उन्होंने कहा कि इस पूरे मुद्दे पर राज्य सरकार गंभीर है और हर संभव प्रयास कर रही है।
बीजेपी सरकार के कारण यह स्थिति बनी
वहीं मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि पिछली बीजेपी सरकार के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। सर्व आदिवासी समाज के प्रांत अध्यक्ष भारत सिंह ने कहा कि आज की बैठक में समाज की ओर से हमने अपनी मांगों को मंत्रियों के समक्ष रख दिया है। अब इस पर राज्य सरकार को फैसला लेना है।
कोर्ट ने 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया है
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दे दिया है। 19 सितंबर को मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार और न्यायमूर्ति पीपी साहू की पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण में 58% की सीमा को रद्द कर दिया था। उन्होंने इसे असंवैधानिक बताया और कहा कि आरक्षण की सीमा को 50% से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता।
राज्य में हंगामा के बाद फैसले को चुनौती दी गई थी
भाजपा के नेतृत्व वाली डॉ रमन सिंह सरकार ने आरक्षण को बढ़ाकर 58% कर दिया था। इसके तहत अनुसूचित जाति का आरक्षण (SC) 16 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति और (ST) के लिए इसे 32 प्रतिशत और अन्य पिछड़ी जातियों के लिए कोटा 14 प्रतिशत कर दिया गया था। राज्य में हंगामा हुआ जिसके बाद राज्य सरकार के फैसले को बिलासपुर उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। एक दशक के बाद ही, छत्तीसगढ़ HC ने इस फैसले को असंवैधानिक बताकर कैंसिल कर दिया।